Foreign Direct Investment FDI inflows fell by 43% in 2023 to $28 billion: उद्योगों और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

Anant Kachare
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Foreign Direct Investment FDI

Foreign Direct Investment FDI: 2023 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में 43% की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 28 बिलियन डॉलर रह गया. यह गिरावट तब आई है जब वैश्विक स्तर पर Foreign Direct Investment FDI में 2% की कमी आई है. यह एक चिंताजनक रुझान है, खासकर विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए जो वृद्धि के लिए एफडीआई पर निर्भर करती हैं. इस गिरावट के पीछे वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता या देश-विशिष्ट कारक सहित कई कारण हो सकते हैं.

Foreign Direct Investment FDI
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Foreign Direct Investment FDI में गिरावट: उद्योगों और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

Foreign Direct Investment FDI में गिरावट का प्रभाव विभिन्न उद्योगों और समग्र अर्थव्यवस्था पर भिन्न-भिन्न तरीकों से पड़ सकता है।

विशिष्ट उद्योगों पर प्रभाव:

  • प्रभावित उद्योग:
    • प्राकृतिक संसाधन: कमोडिटी कीमतों में गिरावट और वैश्विक मांग में कमी प्राकृतिक संसाधनों से जुड़े उद्योगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है, खनन और तेल और गैस का निष्कर्षण शामिल है।
    • मैन्युफैक्चरिंग: विनिर्माण उद्योग भी प्रभावित हो सकता है, खासकर यदि एफडीआई में गिरावट उत्पादन सुविधाओं या अनुसंधान और विकास में निवेश में कमी का कारण बनती है।
    • सेवाएं: वित्तीय सेवाओं और पेशेवर सेवाओं जैसे कुछ सेवा उद्योगों को भी नकारात्मक प्रभाव महसूस हो सकता है, यदि वैश्विक आर्थिक मंदी कंपनियों को कम खर्च करने और विदेशी विशेषज्ञों की सेवाओं की मांग कम करने के लिए प्रेरित करती है।
  • कम प्रभावित उद्योग:
    • सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी): आईटी उद्योग अपेक्षाकृत कम प्रभावित हो सकता है, क्योंकि यह मजबूत वैश्विक मांग का अनुभव करता है और डिजिटलीकरण के रुझानों से लाभान्वित होता है।
    • स्वास्थ्य सेवा: स्वास्थ्य सेवा उद्योग भी कम प्रभावित हो सकता है, क्योंकि यह आवश्यक सेवाएं प्रदान करता है जिसकी मांग आर्थिक चक्र से कम प्रभावित होती है।
    • उपभोक्ता वस्तुएं: FMCG (त्वरित उपभोग वाली वस्तुएं) जैसी उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करने वाले उद्योग भी कम प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि लोग अपनी बुनियादी जरूरतों पर खर्च करना जारी रखते हैं, भले ही अर्थव्यवस्था धीमी हो।
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अर्थव्यवस्था पर Foreign Direct Investment FDI में गिरावट का प्रभाव: अतिरिक्त विचार

अल्पकालिक बनाम दीर्घकालिक प्रभाव:

एफडीआई में गिरावट का अर्थव्यवस्था पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रभाव हो सकते हैं। अल्पकालिक में, इसका प्रभाव अधिक ध्यान देने योग्य हो सकता है, जिससे विकास दर में कमी, रोजगार में कमी और मुद्रा में अस्थिरता हो सकती है।

दीर्घकालिक में, एफडीआई में कमी से देश की उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है, जिससे नवाचार और तकनीकी प्रगति में कमी हो सकती है। यह देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था में हाशिए पर धकेल सकता है और गरीबी और असमानता को बढ़ा सकता है।

निर्भरता:

एफडीआई में गिरावट का प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था विदेशी निवेश पर कितनी निर्भर करती है, इस पर निर्भर करता है। जो देश एफडीआई पर अत्यधिक निर्भर हैं, वे गिरावट से अधिक प्रभावित होने की संभावना रखते हैं, क्योंकि उनके पास विकास और रोजगार के अवसरों के वैकल्पिक स्रोत कम हो सकते हैं।

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सरकारी नीतियां:

सरकारें एफडीआई में गिरावट के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए नीतियां अपना सकती हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं:

  • निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कर और नियामक सुधार: सरकारें कर छूट, सब्सिडी और सरलीकृत नियामक प्रक्रियाओं की पेशकश करके विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान कर सकती हैं।
  • बुनियादी ढांचे में निवेश: बेहतर सड़कें, बिजली और संचार नेटवर्क विदेशी कंपनियों के लिए देश में निवेश करना अधिक आकर्षक बना सकते हैं।
  • शिक्षा और कौशल विकास में निवेश: एक कुशल और शिक्षित कार्यबल विदेशी कंपनियों के लिए अधिक आकर्षक होता है।
  • राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देना: एक स्थिर राजनीतिक और आर्थिक वातावरण विदेशी निवेशकों के लिए जोखिम को कम करता है और उन्हें निवेश करने के लिए अधिक इच्छुक बनाता है।
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अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:

सरकारें अंतरराष्ट्रीय संगठनों और अन्य देशों के साथ सहयोग करके एफडीआई को आकर्षित करने के लिए भी काम कर सकती हैं। इसमें बहुपक्षीय व्यापार समझौतों में प्रवेश करना, निवेश संरक्षण संधियों पर हस्ताक्षर करना और निवेश प्रोत्साहन कार्यक्रमों में भाग लेना शामिल हो सकता है।

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विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में गिरावट का विभिन्न उद्योगों और अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। प्रभाव उद्योग और विशिष्ट आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है। सरकारें नीतिगत हस्तक्षेप और प्रोत्साहन के माध्यम से एफडीआई को आकर्षित करने और इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए कदम उठा सकती हैं।

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